(सय्यद नकी हसन)
भिवंडी तालुका के किसानों पर इस बार मौसम की दोहरी मार पड़ी है। पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर रहने वाले किसानों ने इस साल बड़े पैमाने पर धान की खेती की थी, लेकिन लगातार हो रही बारिश और पिछले तीन दिनों से जारी लौटते मानसून की बौछारों ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया।
तालुके के कई इलाकों में सैकड़ों एकड़ में खड़ी धान की फसल पूरी तरह पानी में डूब गई है। किसानों ने जो धान काटकर सुखाने के लिए खेतों के पास रखा था, वह भी पानी में बह गया। फसल सड़ने लगी है और किसानों के हाथ से आई हुई उपज अब मुंह तक नहीं पहुंच सकी।
कई किसानों ने सहकारी समितियों या निजी स्रोतों से कर्ज लेकर खेती की थी। अब जब पूरी फसल बर्बाद हो गई है, तो उन्हें कर्ज चुकाने की चिंता सताने लगी है। साथ ही खेतों में रखी भूसी और पराली भी पानी में गल जाने से पशुओं के चारे का संकट खड़ा हो गया है।
किसान अब यह सोचने को मजबूर हैं कि आने वाले रबी सीजन के लिए बीज और खाद का इंतज़ाम कैसे करेंगे। खेतों में खड़ी फसल नष्ट होने से उनका सालभर का सहारा छिन गया है। लगातार बारिश से हुई इस तबाही ने भिवंडी के किसानों को पूरी तरह हताश कर दिया है। किसान अब सरकार से राहत और मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
