हैदराबाद:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे दिन रविवार को अपना संबोधन दिया. पीएम मोदी ने हैदराबाद को भाग्यनगर कह कर पुकारा. उन्होंने कहा कि भाग्यनगर में ही सरदार पटेल ने ‘एक भारत’ दिया था. सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी ने कहा, हमने तुष्टिकरण खत्म कर तृप्तीकरण का रास्ता अपनाया है. हमारी एक ही विचार धारा है – नेशन फर्स्ट. हमारा एक ही कार्यक्रम है – नेशन फर्स्ट.जब प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पीयूष गोयल से पूछा गया कि क्या बीजेपी के सत्ता में आने पर हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर किया जाएगा? इस पर उन्होंने कहा कि पार्टी के मुख्यमंत्री कैबिनेट सहयोगियों के साथ इस बारे में फ़ैसला करेंगे.
ग़ौरतलब है कि आरएसएस हैदराबाद को भाग्यनगर कहता आया है और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी प्रचार के दौरान इसे भाग्यनगर कहा था. नवंबर 2020 में योगी आदित्यनाथ जब मेयर के चुनाव के दौरान प्रचार करने हैदराबाद आए थे, तो उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि बीजेपी आई तो शहर का नाम बदलकर भाग्यनगर किया जाएगा. वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह निकाय चुनाव में प्रचार के लिए हैदराबाद गए थे और वहां उन्होंने अपने दिन की शुरुआत भाग्यनगर मंदिर के दर्शन के साथ की थी. यह मंदिर 429 साल पुराने हैदराबाद शहर की पहचान चारमीनार से सटा हुआ है. स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया था.
प्रधानमंत्री ने तेलंगाना में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संगठित तरीके से कार्यक्रम आयोजित करने के प्रयासों के लिए तेलंगाना बीजेपी के कार्यकर्ताओं को बधाई दी और सभी बाधाओं के खिलाफ भाजपा और उसके दृष्टिकोण को आम आदमी तक ले जाने के उनके प्रयासों के लिए बधाई दी.
पीएम के भाषण पर जानकारी देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, कई राज्यों में कार्यकर्ता बिना सत्ता के काम कर रहे हैं. बंगाल, केरल तेलंगाना में ऐसा हो रहा है. हमारी सोच लोकतांत्रिक है. जब पीएम म्यूज़ियम बनाया तो हमने सभी पीएम को वहां स्थान दिया. ऐसे पीएम को भी जिन्होंने हम पर अत्याचार किया. कई राजनीतिक दल अपने अस्तित्व को बचाने में लगे हैं लेकिन यह गिरावट हमारे लिए व्यंक्य या हास्य का विषय नहीं है. हमें सीखना है कि हमें ऐसा कोई काम नहीं करना है जो उन्होंने किया. पीएम ने भारत की विविधता पर ज़ोर दिया सभी को बीजेपी से जोड़ने पर ज़ोर दिया. हमारा उद्देश्य पीटू से जीटू होना चाहिए यानी जनता के लिए और सुशासन के लिए. हम देश के सामने ऐसा आचरण रखें. हमारी सोच होनी चाहिए तुष्टिकरण से तृप्तिकरण.