नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 15 सितंबर को वक्फ कानून की कुछ धाराओं पर अंतरिम रोक लगाई है। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह आदेश सुनाते हुए स्पष्ट किया कि पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं है, लेकिन विवादित प्रावधानों पर अंतरिम संरक्षण जरूरी है।
कोर्ट के अहम आदेश:
▪️अब कलेक्टर को प्रॉपर्टी विवाद पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं होगा।
▪️वक्फ बनाने के लिए 5 साल तक इस्लाम की प्रैक्टिस करने की अनिवार्यता पर रोक।
▪️केंद्रीय वक्फ परिषद में अधिकतम 4 और राज्य वक्फ बोर्डों में अधिकतम 3 गैर-मुस्लिम सदस्य ही शामिल हो सकते हैं।
सरकार की दलील और कोर्ट की प्रतिक्रिया:
केंद्र सरकार ने कहा कि गैर-पंजीकृत वक्फ को मान्यता नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रावधान पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
केंद्रीय वक्फ परिषद में चार और राज्य वक्फ बोर्डों में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों की अधिकतम सीमा तय करने को कोर्ट ने बरकरार रखा।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मालिकाना हक से जुड़े मामलों का निर्णय केवल वक्फ ट्रिब्यूनल या सक्षम सिविल न्यायालय ही करेगा। साथ ही, सभी वक्फ संपत्तियों के हस्तांतरण और उन पर बोझ डालने पर रोक लगा दी गई है, जब तक कि न्यायाधिकरण इस पर कोई फैसला न दे।
