2021 के बाद भी फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधी गुटों के साथ टकराव में कुछ हफ़्ते पहले ही आयरन डोम की कमज़ोरियां एक बार फिर उस वक़्त खुलकर सामने आईं, जब ग़ज्ज़ा और दक्षिणी लेबनान से ज़ायोनी शासन पर रॉकेटों की बारिश हुई।
उसके बाद पिछले मंगलवार को 44 वर्षीय फ़िलिस्तीनी क़ैदी ख़ज़र अदनान की तीन महीने तक भूखहड़ताल के बाद शहादत के जवाब में ग़ज्ज़ा स्थित प्रतिरोधी गुटों ने इस्राईल पर 22 रॉकेट दाग़े, आयरन डोम जिसमें से सिर्फ़ 2 ही रॉकेटों को निशाना बना पाया।
फ़िलिस्तीनी रॉकेटों के मुक़ाबले में आयरन डोम की इतनी बड़ी नाकामी से इस्राईली अधिकारियों की नींद उड़ गई और उन्होंने अपनी गौरवशाली वायु रक्षा प्रणाली की लगातार नाकामी की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन करने की घोषणा कर दी।
इस संदर्भ में अरब जगत के टीकाकार अब्दुल बारी अतवान का कहना हैः ख़ज़र अदनान की शहादत के बाद, फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधी गुटों और इस्राईली सेना के बीच टकराव के दौरान, सबसे आश्चर्यचकित करने वाली बात यह थी कि रक्षा क्षेत्र में ज़ायोनी शासन का अंहकार टूट गया, क्योंकि आयरन डोम कि जिसे इस्राईल के युद्ध उद्योग का गौरव समझा जाता था, वह फ़िलिस्तीनियों के राकेटों का मुक़ाबला नहीं कर सका।
अतवान का कहना था कि ज़ायोनी सेना ने इस हार को स्वीकार करते हुए दावा किया है कि आयरन डोम के सिस्टम में किसी तकनीकी ख़ामी के कारण वह रॉक्टों को निशाना नहीं बना सका।
वहीं इस घटना के बाद, ज़ायोनी सैन्य विशेषज्ञों ने कहा है कि फ़िलिस्तीनी रॉकेटों के मुक़ाबले में आयरन डोम की सफलता का आंकड़ा 67 फ़ीसद से ज़्यादा नहीं है। हालांकि ऐसा लगता है कि यह आंकड़ा भी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है।
इसमें कोई शक नहीं है कि इस्राईल के उन्नत हथियारों और सैन्य उपकरणों के मुक़ाबले में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध पत्थर से अब ऐसे रॉकेटों तक पहुंच गया है, जिनके मुक़ाबले में उसकी वायु रक्षा प्रणाली ध्वस्त होती नज़र आ रही है। इसलिए ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि निकट भविष्य में ज़ायोनी अत्याचारों का जवाब, फ़िलिस्तीनी और इस्लामी प्रतिरोधी मोर्चा ऐसे हथियारों से देगा, जिसकी कल्पना ज़ायोनी अधिकारियों ने नहीं की होगी।