जिनेवा: विशेष क्षेत्र के लोगों के (जातीय) मुद्दे के राजनीतिक समाधान की अपनी प्रतिबद्धताओं पर श्रीलंका (Sri Lanka) द्वारा प्रगति नहीं करने पर चिंता जताते हुए भारत ने सोमवार को 13वें संशोधन के पूर्ण क्रियान्वयन के लिए तत्काल एवं विश्वसनीय कार्य किये जाने की अपील की. साथ ही, भारत ने अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहे देश में यथाशीघ्र प्रांतीय चुनाव कराने की भी अपील की. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 51वें सत्र में श्रीलंका (Sri Lanka) में सुलह, जवाबदेही, मानवाधिकार को बढ़ावा देने पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) की रिपोर्ट पर एक परिचर्चा के दौरान भारत ने यह कहा.
भारत ने कहा कि मानवाधिकारों को बढ़ावा देना और उसकी रक्षा करना तथा संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों के अनुरूप रचनात्मक अंतराष्ट्रीय वार्ता एवं सहयोग करने में उसका सदा यकीन रहा है.
संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के 51वें सत्र में OHCHR की एक रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान श्रीलंका में मानवाधिकार की हालत का मुद्दा उठा. भारत ने कहा कि भारत मानवाधिकार को बढ़ावा देने और उसकी सुरक्षा की सरकार जिम्मेदारी में भरोसा करता है और यूएन चार्टर के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बातचीत और सहयोग में विश्ववास रखता है.
इस बातचीत में भारत की एक प्रतिनिधि ने कहा कि श्रीलंका सरकार की ओर से जातीयता आधारित मुद्दे के राजनैतिक हल के लिए कोई “मापे जाने योग्य” प्रक्रिया नहीं है. श्रीलंका को 13वें संशोधन को पूर्ण तौर से लागू करके , प्रांतीय काउंसिल को मजबूत बनाना चाहिए और जल्द से जल्द प्रांतीय परिषद के चुनाव करवाने चाहिए.
भारतीय राजदूत ने कहा, ” भारत लगातार यूनाइटेड श्रीलंका के फ्रेमवर्क में राजनैतिक हल और शांति और समन्वय चाहता है ताकि श्रीलंका के तमिलों के लिए न्याय, शांति, समानता और सम्मान सुनिश्चित हो सके.”
श्रीलंका के संविधान का 13वां संशोधन तमिल समुदाय को सशक्त बनाता है. भारत श्रीलंका पर 13वां संशोधन लागू करने का दबाव डाल रहा है जो 1987 में हुए भारत-श्रीलंका समझौते के बाद लाया गया था.