संयुक्त राष्ट्रसंघ के मानवीय मामलों के संयोजन विभाग ने कहा है कि राष्ट्रसंघ के अनुसार फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों से स्थानीय निवासियों को जबरदस्ती निकालना ग़ैर क़ानूनी काम है। राष्ट्रसंघ ने इस्राईली अधिकारियों से एसा काम न करने का अनुरोध किया है।
राष्ट्रसंघ के कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि फ़िलिस्तीन के मुसाफिर यता नामक क्षेत्र में 1150 फ़िलिस्तीनी रहते हैं जिनमें 569 बच्चे शामिल हैं। इन फ़िलिस्तीनियों को, ज़ायोनी कालोनी वासियों की ओर से धमकी दी जा रही है कि वे यह क्षेत्र छोड़कर चले जाएं अन्यथा उनके घरों को तोड़ दिया जाएगा। इस हिसाब से 215 फ़िलिस्तीनी परिवारों को इस समय अपनी मातृभूमि ने ज़बरदस्ती निकाले जाने का ख़तरा है। ज़ायोनी कालोनी वासी फ़िलिस्तीनियों के रास्तों को बंद कर रहे हैं और उनके खेतों को आग लगा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि अवैध ज़ायोनी शासन 1980 के दशक से यह प्रयास कर रहा है कि फ़िलिस्तीन के मुसाफिर यता क्षेत्र को सैनिकों के प्रशिक्षण क्षेत्र में परिवर्तित कर दिया जाए। वर्तमान समय में लगभग 1500 फ़िलिस्तीनियों के लिए अपने घरबार से जुदा होने का ख़तरा है। यदि एसा होता है तो सन 1967 के बाद से फ़िलिस्तीन में ज़बरदस्ती निषकासन की यह पहली सबसे बड़ी घटना होगी। फ़िलिस्तीनियों को आशा है कि शायद अन्तर्राष्ट्रीय दबाव के कारण उनको उनके घरों से न निकाला जाए।
फिलिस्तीनियों के निष्कासन पर आधारित ज़ायोनी शासन के न्यायालय के फैसले की राष्ट्रसंघ और यूरोपीय संघ ने निंदा की है। इन दोनो ने फ़िलिस्तीनियों को उनके घरों से न निकाले जाने पर बल दिया है।