ईरान में हिंसा और दंगों के पीछे कौन है और क्या मक़सद है?

दुनिया

विभिन्न मुद्दों को लेकर विरोध दर्ज कराना किसी भी देश के नागरिकों का अधिकार होता है। इस्लामी गणतंत्र ईरान भी इस अधिकार को मान्यता प्रदान करता है, लेकिन अगर विरोध उपद्रव और हिंसा का रूप लेले तो आम लोग इस स्थिति की भेंट चढ़ जाते हैं। आम नागरिक उपद्रव और दंगों में लिप्त नहीं होते हैं, बल्कि व्यवस्था के दुश्मन और उनके पिट्ठू यह काम अंजाम देते हैं और कुछ लोग उनके झांसे में आ जाते हैं। ईरान में जारी हिंसक प्रदर्शनों में भी इस वास्तविकता को देखा जा सकता है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के विरोधी कुछ गुट पिछले 44 साल से अपने सपनों पर पानी फिरते हुए देख रहे हैं और देश में घटने वाली किसी भी छोटी बड़ी घटना को देश में अशांति और असुरक्षा फैलाने के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। हालिया दिनों में घटने वाली घटनाओं में भी इन गुटों ने इस्लामी गणतंत्र विरोधी ईरान इंटरनेशनल और बीबीसी जैसे टीवी चैनलों द्वारा जन भावनाओं को भड़काने का काम किया है और विरोध प्रदर्शनों को उपद्रव और दंगों में बदलने का प्रयास किया है।

यह टीवी चैनल मुट्ठी भर लोगों के अनैतिक कृत्यों को बढ़ा चढ़ाकर पेश कर रहे हैं और दंगों को हवा दे रहे हैं। सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाना और उसके लिए लोगों को भड़काना एक ऐसी साज़िश है, जो हालिया घटनाओं में भी देखी जा सकती है। इसके अलावा, उपद्रवियों ने ईरान के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया है और क़ुरान और मस्जिदों को आग के हवाले किया है। इससे स्पष्ट है कि दंगाईयों को सामाजिक और नागरिक अधिकारों से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि उनका मक़सद सिर्फ़ धर्म और इस्लामी गणतंत्र के ख़िलाफ़ जनमत को भड़काना है।

विभिन्न क्षेत्रों में ईरान ने जो सफलताएं हासिल की हैं और ख़ासतौर पर पिछले एक दशक के दौरान आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में मिली सफलता ने अमरीका की अधिकतम दबाव की नीति और इस्लामी गणतंत्र के पतन की साज़िशों पर पानी फेर दिया, जिससे ईरान के दुश्मन आग बबूला हो रहे हैं और देश में अशांति फैलाना चाहते हैं।

इसके अलावा एक अन्य मुख्य बिंदू यह है कि ईरान में यह दंगे ऐसे वक़्त में भड़काए गए हैं, जब ईरानी राष्ट्रपति संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के सत्र में भाग लेने लिए न्यूयॉर्क की यात्रा पर थे। इससे स्पष्ट है कि इसका एक उद्देश्य, ईरानी राष्ट्रपति की यात्रा को प्रभावित करना था, ताकि मीडिया का ध्यान यात्रा और असली मुद्दों से हटाकर हिंसा और दंगों पर केन्द्रित कर दिया जाए।

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